एक बख्त था वैध पनें का काम हौवे था न्यारा नब्ज पकड़ के पीर बताते ……
भट्टी की जु तप रही धरती , सुखन लागे ताल तलैया ……
कुर्सी का है रौला जग में , है उसकी कहानी न्यारी
म्हारे हिंद में बालक जाम्या , साल डेढ़ सौ साल दिखें….
अर्जुन के बेटे जिस तई बेटे ड़रो नहीं और ना डराऔ….
गोरा हो तो राजा बेटा गोरी हो तो बेचारी , छोरा खातर दूध मलाई वो रूखी सूखी खाई….
एक बख्त था म्हारे बड़ों का मान होवे था न्यारा , लोक लाज और ऊंच नीच का ध्यान होवे था सारा ….
होए बटेरे देव सरीखे उनका मान बढ़ाईयो…….
एक बख्त उस बोध गया में ……..
म्हारी पुरी की पूरी कहानी………
मखना बता आबादी का देखो दुनिया सारी…..
म्हारे बड़े कोर्ट ने लिया फैसला न्यारा…..
राम नगर में होण लागरा रोज़ नया मुंह काला……..
कौन शराबी जीती चान्या राम श्याम मै न्यारा था……
स्वामी विवेकानन्द जी ने भी जिनके गुण थे गाए
छौ में आके उतराखंड़ में बरसा रे जब इन्र्द
अबुझ आए सहावा सहारा आया …
एक बख्त था चौमासौ में
मेंहगाडे ने मार दिये ………….
निम्बोली लागा सामण गदरावे गा …
गुरु हो माता पिता…..
ओ शहीदो तुम पे सारे देश को अभिमान है …
जी का रासा हो रया सै यो…….
लापरवाही तै दे रे क्यू…..
एक बख्त था सामण के …….
एक बक्त था हिंद मारे पै…..
अम्बर राज़या और मीही आजा…..
सामण छाया दिन रै आया…
एक बख्त था सामण के माह…