रविवार को विश्व टीबी दिवस मनाया गया। विश्व में टीबी मरीजों की संख्या एक करोड़ 20 लाख है। हरसाल 88 लाख लोग टीबी से पीड़ित होते हैं। वहीं दो लाख 75 हजार टीबी पीड़ितों की मृत्यु हो जाती है। भारत में टीबी के मरीजों की संख्या करीब डेढ़े लाख है…जिनमें से प्रतिदिन तकरीबन 900 लोगों की मृत्यु हो जाती है। लोगों को जागरूक कर ही उन्हें इस रोग से बचाया जा सकता है। अकसर लोग लंबे समय से होने वाली खांसी को नजरअंदाज कर घऱेलू नुस्खे अपनाने शुरू कर देते हैं…यही लापरवाही बाद में टीबी का रूप ले लेती है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इस जानलेवा बीमारी से जागरूक करने के लिए दुनियाभर में 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है।टीबी की बीमारी से मरने वाले 95 फीसदी लोग विकासशील देशों से हैं। भारत में भी टीबी अपना पैर लगातार पसार रहा है…देश में करीब डेढ़ लाख मरीज टीबी की बीमारी से पीड़ित हैं…और हर तीन मिनट में 2 लोग टीबी से दम तोड़ते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक टीबी की जानलेवा किस्म एमडीआर-टीबी के मामले में, भारत दक्षिण-पूर्वी एशिया में पहले स्थान पर पहुंच गया है। देश ही नहीं प्रदेश में भी टीबी के मरीजों की संख्या इजाफा हुआ है…अकेले  भिवानी में टीबी के मरीजों की संख्या चार सौ के करीब पहुंच गई है। टीबी यानि “ मल्टिपल ड्रग रेसिसटेंट ”  ये एक ऐसी बीमारी है जिससे प्रभावित होने पर मरीज पर ज्यादातर दवाएं बेअसर हो जाती हैं। टीबी की शुरूआत खांसी से होती है। चिकित्सकों के मुताबिक अगर दो हफ्ते से ज्यादा खांसी किसी को हो तो वह टीबी का मरीज हो सकता है। ये बीमारी वाइरल होती है जो मरीज के संपंर्क में आने से फैलती है। ‘डॉट्स’ अभियान के चलते टीबी से मरने वालों की संख्या भले की कम हुई हो… लेकिन अब भी जागरूकता की कमी की वजह से हर साल लगभग पांच लाख लोग मौत का शिकार हो रहे हैं।

 

 

 

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