साल 2003 में शुरू हुई बचपन पाठशाला योजना भाजपा सरकार के आते ही धराशायी हो गई है। पांच साल तक के मासूम बच्चों को खेल-खेल में मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती थी। लेकिन अब इन पाठशालाओं को समाप्त कर इन्हे आंगनवाडी में तब्दील कर दिया है। ऐेसे में गरीब बच्चों पर तो असर पढा है वहीं कई शिक्षक भी बेरोजगार हो गए हैं।

हरियाणा में वर्ष 2003 में इनेलों के समय छोटे बच्चो को खेल-खेल में शिक्षा देने के लिए सरकारी तौर पर प्ले स्कूल खोले गए थे। जिन्हें बचपन पाठशाला का नाम दिया गया था। ऐसे में इन पाठशालाओ में गरीब बच्चो के मां-बाप अपने बच्चों को बचपन में ही शिक्षा देने के लिए इन पाठशालाओ का सहारा लेते थे।

गरीब मां-बाप काम पर जाने के लिए अपने बच्चों को खेलने और पढ़ने के लिए इन पाठशालाओ में छोड देते थे। अगर हम लोग यमुनानगर की ही बात करें, तो अकेले यमुनानगर में ही 16 बचपन पाठशालाए थीं। जिनमें सैकडों मासूम बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। पढ़ाने के लिए भी दर्जनों अध्यापक भी लगाए गए थे। लेकिन भाजपा सरकार के आते ही इन बचपनशालाओं पर सीधे तौर पर असर पड़ा है। क्योंकि सरकार ने आते ही बचपन पाठशाला को बंद कर दिया। ऐसे में ज्यादातर बच्चों की इसके चलते पढाई ही छूट गई और दर्जनों अध्यापक भी अपने काम से हाथ धो बैठे।

अब शिक्षिक ही कह रहे है कि एक तरफ तो सरकार बेटी बचाओ अभियान चला रही है। जबकि दूसरी तरफ यही सरकार सैकड़ों बेटियों से उनका काम छीन कर उन्हें बेरोजगार कर रही है।

बचपन पाठशाला के समाप्त करने के बाद कई बच्चे शिक्षा से दूर गए तो कई अध्यापक भी बेरोजगार हो गए हैं। इस योजना को चालू करने के लिए जहां करोडो रू खर्च किए गए थे और वहीं अब ऐसे में इन पाठशालाओ में बच्चे के लिए पढ़ाई और खेल कूद का सामान भी अब धूल फांकेगा।

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