हरियाणवी में अगर हास्य है तो इस बोली में एक मर्म भी है और एक सोच भी. हरियाणवी में कविता लिखने और कहने की एक समृद्ध और पुरानी परम्परा रही है. यह दुःख की बात है की हरियाणवी में काव्य की परम्परा को उतना सम्मान नहीं मिल पाया जितना दूसरी क्षेत्रीय भाषाओँ की कविताओं को मिला. इसके लिए जहाँ साहित्य जगत दोषी हैं वहीँ हमारा सिस्टम भी. लेकिन अब हम अपनी बोली के कवियों और कविताओं को सम्मान दिलाने उन्हें पहचान दिलाने के लिए लाये हैं ख़ास कार्यक्रम- कविता टाइम. इस कार्यक्रम में हम आपको सुनायेंगे हरियाणवी में कविताएँ उन्ही कवियों के मुख से जिन्होंने इन्हें लिखा है. ये कविताएँ हैं समाज के हर वर्ग और हर मुद्दे से जुडी. इनमे होंगे सभी रस. ये आपको कर देंगी सोचने पर मजबूर तो करेंगी आपका मनोरंजन भी. यह भी एक ऐसा प्रयास है जो किसी चैनल पर इससे पहले नहीं हुआ. यानी हरियाणा के इतिहास में पहली बार टीवी पर प्रसारित होगी एक सीरिज. इसमें शामिल हैं हरियाणवी हर नया और पुराना कवि और कवयत्री.
|